बायोचार और कोन-टिकी किल्न: किसानों के लिए एक नई राह
- Dnyaneshwar Pawar
- Mar 3
- 2 min read
प्रिय किसान भाइयों और बहनों,
हमारी धरती माँ हमें अन्न, फल, सब्जियाँ और न जाने कितनी ही नेमतें देती हैं। लेकिन आज, हमारी मिट्टी की सेहत बिगड़ रही है, जिससे फसलों की उपज और गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। ऐसे में, बायोचार और कोन-टिकी किल्न जैसी तकनीकें हमारे लिए आशा की किरण बनकर उभरी हैं।
बायोचार क्या है?
बायोचार एक प्रकार का चारकोल है, जिसे जैविक अवशेषों जैसे कि फसल अवशेष, लकड़ी के टुकड़े आदि को उच्च तापमान पर ऑक्सीजन की कमी में जलाकर बनाया जाता है। यह मिट्टी में मिलाकर उसकी उर्वरता, जल धारण क्षमता और संरचना में सुधार करता है।
कोन-टिकी किल्न: बायोचार उत्पादन की सरल विधि
कोन-टिकी किल्न एक सरल और किफायती उपकरण है, जिससे किसान स्वयं अपने खेतों में बायोचार बना सकते हैं। यह एक शंकु आकार की भट्टी होती है, जिसमें जैविक अवशेषों को परत-दर-परत जलाकर बायोचार तैयार किया जाता है। इस विधि से न केवल अवशेषों का सही उपयोग होता है, बल्कि पर्यावरण को भी लाभ होता है।
बायोचार के लाभ
मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि: बायोचार मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों को बनाए रखता है, जिससे फसलों की वृद्धि में सुधार होता है।
जल धारण क्षमता में सुधार: यह मिट्टी की जल धारण क्षमता को बढ़ाता है, जिससे सूखे के समय भी फसलें सुरक्षित रहती हैं।
कार्बन संग्रहन: बायोचार कार्बन को मिट्टी में लंबे समय तक संग्रहीत करता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है।
किसानों के लिए संदेश
प्रिय किसान साथियों,
हमारी मिट्टी हमारी माँ है, और उसकी सेहत हमारी जिम्मेदारी। बायोचार और कोन-टिकी किल्न जैसी तकनीकों को अपनाकर हम न केवल अपनी फसलों की उपज बढ़ा सकते हैं, बल्कि पर्यावरण की रक्षा में भी योगदान दे सकते हैं। आइए, हम सब मिलकर इस नई तकनीक को अपनाएँ और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करें।
जय जवान, जय किसान!

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